Monday, April 13, 2009

जब प्रतिपक्षी के वाहन को पेट्रोल दिया

जब प्रतिपक्षी के वाहन को पेट्रोल दिया

स्थान - मछली शहर विधानसभा क्षेत्र, समय - द्वितीय विधानसभा का चुनाव। चुनाव प्रचार की गहमा-गहमी। काँग्रेस के प्रत्याशी सैय्यद रऊफ़ ज़ाफ़री, पुराने जमींदार, इलाके के र‍ईश, चुनाव प्रचार में अपनी विदेशी गाड़ी (संभवतः इम्पाला) से जा रहे थे। उन दिनो जब प्रचार कार्य मुख्यतः बैलगाड़ी या इक्के से होता था, चार पहिया वाहनो की हैसियत हेलीकॉप्टर से कम नहीं थी। ज़ाफ़री साहब देखते हैं कि रास्ते में एक जीप खड़ी है और लोग बाहर उतर कर खड़े हैं। समीप आने पर पता चलता है कि ये आचार्य नरेन्द्र देव की प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी पं० केशरी प्रसाद पाण्डेय हैं जो किराये की एक पुरानी विलिस जीप में जा रहे थे। जीप ने आशा से अधिक पेट्रोल पी लिया था जिससे वे असहाय से रास्ते में विकल्प तलाश रहे थे। उन दिनो पेट्रोल पम्प भी २५-३० कि.मी. से पहले नहीं मिलते थे और देहातों में तो और भी समस्या। ज़ाफ़री साहब की गाड़ी रुकती है। दोनो नेताओं में अभिवादन होता है एवं उनके साथ के लोगों में भी। कुछ हँसी मजाक भी होता है। वातावरण एकदम मित्रवत।
ज़ाफ़री साहब अपने ड्राइवर को आदेश देते हैं कि वो अपनी गाड़ी से पेट्रोल निकाल कर पंडित जी की गाड़ी में डाले। वे पंडित जी की अनुमति की आवश्यकता भी नहीं समझते न उनके किसी अनुरोध की प्रतीक्षा करते हैं। यह कार्य मित्रता के अधिकार से किया गया था। ड्राइवर ने भी तत्काल आज्ञा का पालन किया। फिर दोनो अपने-अपने चुनाव कार्य में संलग्न हो गये। उस चुनाव में ज़ाफ़री साहब विजयी हुये
आज वो हमारे बीच नहीं है। पाण्डेय जी (लगभग ९५ वर्ष) अपने जौनपुर स्थित निवास में अब भी रहते हैं।बाद मे श्री पाण्डेय जी एक बार प्रसोपा से तथा दो बार काँग्रेस से विधायक चुने गये। उन्हे भी लोग जौनपुर के गाँधी के रूप में याद करते हैं।
क्या आज हम प्रत्याशियों में ऐसे सौहार्द की कल्पना कर सकते हैं? मैं आशावान हूँ कि हमारे युवान एक दिन उन आदर्शों कि ओर अवश्य लौटेंगे।

2 comments:

Dr.R.Ramkumar said...

राजनीति में सौहार्द्र और मूल्यों की अनुपस्थिति एक परिचित सा सत्य है। आपने प्रतिलोम उपस्थित कर प्रतिसाद दिया .. धन्यवाद

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह!
राजनीति का प्रेरक पक्ष.