Wednesday, October 22, 2008

क्या यह राष्ट्रद्रोह नहीं है?

जो महाराष्ट्र में पिछले दो तीन दिनों में हुआ और जिस पर राजनैतिक दलों में जिस प्रकार का आपराधिक मतवैभिन्य देखने को मिला,वह देश के लोकतान्त्रिक, गणतांत्रिक एवं संघीय भविष्य पर बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा करता है। एक व्यक्ति, एक प्रकार से देश की संवैधानिक व्यवस्था की धज्जी उड़ा देताऔर सरकार मूक दर्शक बन कर इधर उधर लाठी पटकने का नाटक करती है। अगर हम जम्मू और कश्मीर में इसी तरह की गतिविधियों को अलगाववाद और आतंकवाद कहते हैं तो यहाँ क्यों नहीं? क्या एक व्यक्ति की सनक राष्ट्र की अस्मिता से ऊपर है? निर्दोष और निरपराध लोगों पर क्षेत्रीयता के नाम पर हमला किस राजनैतिक गतिविधि के अंतर्गत है इसका जवाब मिलाना ही चाहिए अन्यथा यह लापरवाही देश की एकता एवं अखंडता के लिए घातक हो सकती है। मेरी दृष्टि में और मैं समझता हूँ की अधिकांश देशवासियों की दृष्टि में देश की संवैधानिक व्यवस्था का अनादर करने वाला व्यक्ति राष्ट्रद्रोही है तथा उसके साथ वही व्यवहार होना चाहिए जो एक राष्ट्रद्रोही के साथ होता है।

6 comments:

Vikas said...

It is good to see that you still believe in words like loktantrik, gantantrik, samvaidhanik vyawastha, rastriy asmita, ekta and akhndata. Please wake up! be a bit cynical. There is nothing sort of these things. These words are only for speeches and editorials. Therefor not to be believed and not to be taken on their face value.

शोभा said...

bahut achha likha hai. swagat hai aapka.

dinesh kandpal said...

ठीक कहा है आपने.. राज ठाकरे इतना क्यों गिर गये इस पर भी कुछ लिखिये........ स्वागत है...आपका...

संगीता पुरी said...

नए चिट्ठे के साथ हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है... आशा है आप अपनी प्रतिभा से चिट्ठा जगत को समृद्ध करेंगे.... हमारी शुभकामनाएं भी आपके साथ है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

sahi kaha aapne,aise logo ke khilaf action liya jana chahiye

रचना गौड़ ’भारती’ said...

bahut achha likha hai. swagat hai aapka.